Saturday, 9 August 2025

विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Khanna

 

🌸🌼 जब हम "रंगीन गुलदस्ता" की बात करते हैं तो यह केवल रंग-बिरंगे 🌼🌸 फूलों का एक गुच्छा नहीं है।

यह गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं, अनुभवों और यात्राओं के दौरान मिले विविध संस्कृतियों, भाषाओं और आस्थाओं के अद्भुत संगम का प्रतीक है। अमरदीप सिंह द्वारा प्रस्तुत Allegory: The Tapestry of Guru Nanak’s Travels के 20वें एपिसोड में यह स्पष्ट होता है कि गुरु नानक देव जी की यात्रा केवल एक धर्मगुरु की यात्रा नहीं थी, बल्कि वह एक ऐसी चेतना की यात्रा थी जिसने विश्व को जोड़ा, तोड़ा नहीं।

रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा इस बात का प्रतीक है कि संसार में जितनी विविधताएं हैं — भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति, रंग — वे सब मिलकर एक सुंदर गुलदस्ता बनाते हैं। गुरु नानक देव जी ने जिस तरह हिंदू, मुस्लिम, सिख, साधु, फकीर और आम जनता से संवाद किया, वह उनके व्यापक दृष्टिकोण और गहन करुणा का उदाहरण है।

यह एपिसोड हमें यह सिखाता है कि हमें विविधता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए। एक बगीचे की सुंदरता तभी होती है जब उसमें रंग-बिरंगे अनेक फूल हों। गुरु नानक देव जी की यात्राओं में केवल चलना नहीं था — वह एक आत्मिक तपस्या थी। वे लोगों से मिलते थे, सवाल पूछते थे, जवाब देते थे और फिर आगे बढ़ जाते थे।

जैसे कोई माली हर बगीचे से एक फूल चुनकर एक अनुभव, एक सीख, एक रंग अपने अंदर समेटता है, वैसे ही उनकी यात्राएं थीं। यह एपिसोड दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम भी अपने जीवन की यात्रा में ऐसे ही अनुभव समेट रहे हैं, या केवल आगे बढ़ने की दौड़ में लगे हैं।

"गिन गुलदस्ता" न केवल गुरु नानक देव जी की यात्रा का एक सुंदर अध्याय है, बल्कि यह हर दर्शक के अंदर एक गहरा प्रश्न छोड़ जाता है

साक्षी खन्ना
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना की एकता की मिसाल - Reena Devi

 

"एकता तब नहीं आती जब सब एक जैसे हों, एकता तब आती है जब हम भिन्न होकर भी एक साथ खड़े हों।"

"रंगीन गुलदस्ता" में गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके साथी भाई मरदाना की उपस्थिति केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश है। गुरु नानक देव जी की विचारधारा प्रेम, समानता और सेवा पर आधारित थी। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और धार्मिक भेदभाव का डटकर विरोध किया और लोगों को ऐसे मार्ग की ओर प्रेरित किया, जहां हर व्यक्ति को समान सम्मान मिले।

गुरु नानक देव जी का मानना था कि ईश्वर एक है और वह सबमें है। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि कोई धर्म श्रेष्ठ है या कोई निम्न। उनके अनुसार, इंसान का धर्म उसका आचरण है — वह कैसे जीता है, कैसे सोचता है और दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है। गुरु नानक जी के जीवन में भाई मरदाना जी का विशेष स्थान था। मरदाना एक मुस्लिम कव्वाल थे, जो गुरु नानक के बचपन के मित्र थे और पूरी उम्र उनके साथ रहे। उन्होंने रबाब बजाकर गुरु नानक के शबद-कीर्तन को स्वर दिए।

उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां सब लोग एक-दूसरे के प्रति समान दृष्टि रखते हैं और जात-पात, धर्म या अमीरी-गरीबी का भेदभाव न हो।

गुरु नानक जी ने बचपन से ही ऐसे कार्य किए जो हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि असली धर्म क्या है। सच्चा सौदा जैसी घटना से यह स्पष्ट होता है कि उनके लिए असली व्यापार वही था जिसमें जरूरतमंद की मदद हो। उन्होंने यह भी सिखाया कि धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि ईमानदारी, सेवा और करुणा से भरा हुआ जीवन है।

"रंगीन गुलदस्ता" में पढ़ी गई गुरु नानक देव जी की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि उनकी शिक्षाएं हमें यह एहसास कराती हैं कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए धर्म से पहले मानवता जरूरी है। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, तो एक सुंदर, शांतिपूर्ण और समानता से भरी दुनिया बनाई जा सकती है।

"भले ही हम सब अलग-अलग शाखाओं के फूल हैं, पर जब साथ खिलते हैं तो बगीचा भी मुस्कराता है।"

रीना देवी
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी का विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Pal

 

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके यात्रा-वृत्तांत हमें विविधता में एकता का संदेश देते हैं।
"रंगीन गुलदस्ता" का अर्थ है रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा। यह शीर्षक बहुत सुंदर रूप से दर्शाता है कि दुनिया अनेक रंगों, संस्कृतियों, धर्मों और विचारों से बनी है, और हर रंग, हर फूल अपनी एक अलग खुशबू और महत्व रखता है।

गुरु नानक देव जी ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और हर स्थान पर उन्होंने लोगों से संवाद किया, प्रेम बांटा और उन्हें एकता, सेवा और सच्चाई का संदेश दिया। जैसे एक गुलदस्ता कई फूलों से मिलकर बनता है, वैसे ही मानवता भी विभिन्न समुदायों, भाषाओं और संस्कृतियों से मिलकर बनती है।

गुरु नानक देव जी ने कभी भेदभाव नहीं किया, उन्होंने सबको एक ही नजर से देखा — चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का हो। बलूचिस्तान जैसे दूरस्थ और कठोर इलाके में गुरु नानक देव जी की उपस्थिति यह दर्शाती है कि प्यार, शांति और एकता का संदेश किसी सीमा में नहीं बंधा होता। बलूचिस्तान उस गुलदस्ते का हिस्सा बना, जिसमें हर क्षेत्र, हर धर्म और हर भाषा का फूल शामिल था।

जैसे गुलदस्ते में हर फूल ज़रूरी होता है, वैसे ही मानवता की सुंदरता विविधता में छिपी है। बलूचिस्तान में गुरु जी की यात्रा हमें सिखाती है कि सच्चे आध्यात्मिक शिक्षक हर स्थान पर जाते हैं — चाहे वह कितना भी दूर या भिन्न क्यों न हो — ताकि हर व्यक्ति तक सच्चाई और प्रेम पहुंच सके।

यह एपिसोड हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में दूसरों को अपनाने की भावना रखनी चाहिए और हर इंसान को उसके गुणों के लिए स्वीकार करना चाहिए। हम जितनी अधिक विविधता को समझते और सम्मान देते हैं, उतना ही सुंदर हमारा समाज बनता है — ठीक वैसे ही जैसे एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता।

"रंग-बिरंगी मानवता का संगम"

Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

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