कहते हैं वो हमें भींगना नहीं आता
बादल की तरह कभी बरस कर तो देखो
कागज़ की कश्ती एक हम भी बनाएंगे
आंगन से कभी हमारे गुज़र के तो देखो।
कहते हैं वो हमें इठलाना नहीं आता
सर्द हवाओं सी गुज़र कर तो देखो
स्पर्श से तुम्हारे संवर जाऊंगा, मैं
सांसें हमारी कभी छु कर तो देखो।
कहते हैं वो हमें उभरते नहीं आता
सुरज के तरह चमक कर तो देखो
पलकें झुका कर हम सुनते रहेंगे
आंखे उठा कर कुछ कह कर तो देखो।
वो कहते है हम में बचपना नहीं है
बर्फ की तरह बरस कर तो देखो
मासूमियत ज़रा तुम्हें हम भी दिखाएंगे
अपनी गोद का सिरहाना बना कर तो देखो।
भींगना इठलाना हमें भी आता है
तुम मौसम के तरह उभर कर तो देखो
अंदाज हमारा ज़रा हम भी दिखाएंगे
ख्वाबों से हकीकत में कभी आ कर तो देखो।
रोज आते हैं बादल
छेड़ जाता है सूरज,
ये हवाएं भी अपनी सी लगती है
वो छवि जो सपनों में देखीं थीं हमने
वो शायद हकीकत में किसी से तो मिलती है
क्या देखीं होगी उन्होंने भी हमारी छवि
और सपने हमारे और हमारी शिकायतों को लेकर,
चलो अब मिल जाओ कहीं नींदों से परे
सपनों को हकीकत बना कर तो देखो।
मिल जाए कहीं तो जाने ना देंगे
खुद में उन्हें समां लेंगे हम
एक टक हमें बस सुनते रहे वो
और बस हंस कर बातें सुनाते रहे हम
और बस हंस कर बातें सुनाते रहे हम।।
Name :- Khush Rajpurohit
Class:- XII Science
The Fabindia School
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