मेरे अनुसार इस चित्र का व्याख्यान ‘मन रम गया’ है। ये चित्र दर्शाता है, एक नन्हे से बच्चे का उन्मुक्त और भोला-भाला मन l
वह मन जो संसार और किताबो के अनुसार नहीं चलता। बल्कि अपने ही ख्यालो और कल्पनाओ में लीन रहता है।
यह मुझे अपने बचपन की याद दिलाता है। मैं बादलों में आकृतियां बनाता था और कभी तारों को गिनकर फिर गिनती स्वयं ही भूल जाता था। कभी अपनी साइकिल पर चांद के साथ दौड़ लगाता था । यह चित्र एक बच्चे के मन के भावो को दर्शाता है ।
यशराज शर्मा
कक्षा : ८ डी
ज्ञानश्री स्कूल
हर रविवार की सुबह हम मेरे अच्छे स्कूल में टोटोचन पढ़ते हैं |
No comments:
Post a Comment