हमारे जीवन में हमारे कई मित्र होते है और आगे भी होंगे। कुछ बहुत सहायता करने वाले या कुछ जिनको ज्यादा करना अच्छा नहीं लगता। लेकिन हमारे जीवन में जब भी कोई एक अच्छा, विश्वसनीय मित्र मिले तो हमे उसका भी आदर करना चाहिए जिससे हम भी उससे कुछ सीख पाए और अच्छे संबंध रख पाएँ, यह सब बाते लिख कर मेरे मन में मुझे अपने एक बहुत पुराने दोस्त की याद आई उसका नाम है आयुतांश। आपको उसके बारे में थोड़ा कुछ बताता हूँ ।
जब मैं कक्षा ३ में था तब मैने ज्ञानश्री में दाखिला लिया था। मुझे याद है मेरी कक्षा थी '३ स'l एक दिन मैं स्कूल के मैदान में फुटबॉल खेल रहा था जब मेरा पैर मुड़ गया और मैं ज़मीन पर गिर कर गुलाटी मार गया। तब वो मेरे पास आया और मुझे उठाने के लिए हाथ बढ़ाया , मैं उसकी सहायता से उठा और हम दोनों उस क्षण से बहुत अच्छे मित्र बन गए । तबसे हम हमेशा साथ में फुटबॉल खेलते थे और हमेशा एक ही टीम में होते,हम दोनों एक दूसरे की गृहकार्य में भी मदद किया करते थे, वे हमारे लिए बहुत मज़े से भरा समय हुआ करता था।
लेकिन जब हम छट्टी कक्षा में पहुँचे , एक दिन उसने मुझे बताया कि उसके पिताजी का जम्मू में तबादला हो गया है और वह अब स्कूल छोड़ कर जम्मू जाएगा। वो दिन हम दोनों के लिए बिलकुल ख़ुशी का दिन नहीं था। उसके जाने के बाद भी हम बहुत समय तक संपर्क में रहे लेकिन अब हम दोनों कई महीनो से बात नहीं हुई है। मुझे कभी कभी उसकी बहुत याद भी आती है।
काश वो समय वापस आ जाये…और हम फिर सी वही पल जी सकें।
यशराज शर्मा
कक्षा ८ - ड
ज्ञानश्री विद्यालय
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