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Saturday, 30 July 2022

प्रकृति की शोभा - Yashraj Sharma

देख प्रकृति की शोभा अपार 

प्रश्न उठा यह बारम्बार l 

जिसने की रचना इसकी

कहां छिपा वह चित्रकार l l 



नील गगन को छूती जैसे 

यह ऊँची पर्वत माला l 

लहर लहर बहती नदियां

जैसे चंचल सी बाला l l 



चूृं चूृं चिड़िया के स्वर 

भवरों के गुंजार कही l 

और गरजते मेघ छोड़ते 

वर्षा की फुहार कहीं l l 



मोर नाचते झूम- झूम कर 

पाकर प्रकृति का उपहार l 

जिसने की रचना इसकी 

कहाँ छिपा वह चित्रकार l l 



हरियाली की चुनरी ओढ़े 

चाँद सितारों का आंचल l 

पायल की रून झुन सी लगती l

बहते झरने की कल कल l l


वन उपवन सब करते हैं 

प्रकृति का श्रृंगार l 

जिसने की रचना इसकी 

कहाँ छिपा वह चित्रकार l l


यशराज शर्मा 

आठ (डी)  Gyanshree School

प्रकृति हमारी सबसे बड़ी गुरु - अनुशा जैन

 प्रकृति हमारी सबसे बड़ी गुरु है और हमें जीवन जीना का सलीका सिखाती है।

ये है बंजर ज़िन्दगी तुम्हारी, जो है ज्ञान से खाली।
ये पेड़ पौधे हैं मोती ज्ञान के, जो लाते जीवन में हरियाली।
इस ज्ञान का उपयोग करो और परिश्रम करते जाओ 
पर्वत जैसा ऊँचा बने जीवन, ऐसे कर्म तुम कर दिखाओ।
अनुशा जैन
कक्षा दसवीं
एलकॉन पब्लिक स्कूल 

Saturday, 23 July 2022

प्रकृति और मै - आरव अग्रवाल


जैसे बोलू और भैरा बहुत अच्छे मित्र थे, साथ मे स्कूल जाते थे। बोलू को प्रकृति अच्छी लगती थी और जैसे ही वह स्कूल पहुँचता, वह खिड़की खोलकर बाहर देखने लगता। उसे बहुत मज़ा आता था। बोलू की तरह मुझे भी सुबह खिड़की से बाहर देखना बहुत अच्छा लगता है। हरे-भरे पेड़ और पौधे, हरियाली और ठंडी वायु मुझे बहुत अच्छी लगती है। प्रकृति मे मेरा मन शांत रहता है और मुझे लिखने की कल्पना आती है। प्रकृति से हमे यह सीख मिलती है कि हमे स्वार्थरहित रहना चाहिए।

नाम: आरव अग्रवाल  
कक्षा 6 ए 
बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ठाणे

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