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Wednesday, 18 August 2021

मनुष्यता - कृतिका राजपुरोहित

‘मनुष्यता’ एक बहुत छोटा सा शब्द लगता है परंतु इसका अर्थ महत्वपूर्ण है। यह लोगों की एक दूसरे के प्रति भावना का आभास है। मनुष्यता के कई रूपों में दिखाई दे सकती है- जैसे सद्भावना, एक दूसरे की फिक्र करना, सहायता करना आदि। यह सब बोलना और देखना आसान है परंतु इन बातों पर अमल करना उतना ही कठिन है, कोई भी इंसान किसी की बुराई देखने में देर नहीं करता परंतु गुणों को देखने में देर करता है। आज की दुनिया में मानवता दर्शाने वाले कम और नफरत, निर्दयता दर्शाने वाले अधिक मिलेंगे। लोग एक दूसरे की कदर नहीं करते तो उनकी भावना के बारे में सोचना दूर की बात है मनुष्यता एक ऐसा गुण है जिसके होने पर सब अच्छा है परंतु न होने पर सब बुरा। मनुष्यता से ही मानव बनता है, इस समय लोग इसके आवश्यकता को नहीं समझ रहे हैं परंतु इसे समझना अनिवार्य है। यदि मनुष्यता नहीं तो मानव नहीं।  

लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं कि वह अपने अलावा दूसरों के बारे में बुरा ही सोचते हैं। ऐसा लिखने के पीछे भी तथ्य है, कोरोना महामारी के दौरान लोग दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं, जमाखोरी कर रहे हैं, इतना ही नहीं अन्य वस्तुओं की भी जमाखोरी करके उसको ऊँचे दाम पर बेच रहे हैं। 

मनुष्यता केवल बोलने से नहीं होती, यह एक भावना है जो किसी की परेशानी देखकर आती है और उसकी सहायता के लिए जब हम सबसे पहले खड़े रहे, तब समझ सकते है कि हममें मानवता है। आज जानवरों में मनुष्य से कहीं ज्यादा अपनापन है क्योंकि जानवर अपने स्वार्थ में किसी का बुरा नहीं सोचते और यदि हमें अपनी आने वाली समय को उज्जवल करना है तो आज ही हमें मनुष्यता का सही अर्थ समझना होगा। इस कठिन दौर में यह आवश्यक है कि हम हर इंसान के लिए मदद करने को तत्पर रहें। यह महामारी शायद हमें यही सीख देने के लिए है। 

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समाज में रहता है। जब समाज में रहता है तो एक दूसरे की मदद करना भी आवश्यक है, तभी तो उसकी सामाजिकता दिखेगी। जब हम संकट में होते हैं तब मदद की गुहार लगाते हैं, ललचाए हुई निगाहों से चारों तरफ मदद की आस करते हैं। लेकिन कभी सोचा है जब कोई और संकट में था तब हमने मदद की या नहीं। स्वयं के लिए चिल्लाने लग जाएँगे परंतु अपनी तरफ से देने का प्रयास नहीं करेंगे।

समय की गरिमा को समझते हुए हमें एक दूसरे की मदद करने की आवश्यकता है। स्वार्थ सिद्धि छोड़कर एकजुट हो जाएँ तो यह महामारी दुम दबाकर भागेगी और मनुष्यता विजई होगी।

कृतिका राजपुरोहित 
 कक्षा- ग्यारहवीं (विज्ञान)

Wednesday, 28 April 2021

विज्ञापनों की दुनिया - कनक गहलोत

कनक गहलोत
विज्ञापनों का कार्य है लोगों तक अपने उत्पाद की सूचना देना या उससे संबंधित जानकारी देना। सूचनाओं और जानकारियों के आधार पर ग्राहक अपने लिए उस वस्तु का चुनाव कर सकते हैं। उत्पाद से संबंधित यह जानकारी या सूचना विश्वसनीय होनी चाहिए। गलत जानकारी लोगों में भ्रम पैदा कर सकती हैं या एक तरह से ऐसा करना ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी भी है। परंतु यह दुर्भाग्य ही है कि वर्तमान समय में विज्ञापन केवल लाभ कमाने और अपने उत्पाद की अधिक से अधिक बिक्री करने तक ही सिमट कर रह गया है।

विज्ञापन का वास्तविक अर्थ ही लुप्त हो गया है। अधिक से अधिक ऐसे खर्च करके लुभावने विज्ञापन तैयार किए जाते हैं जिससे कि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके।बड़े बड़े अभिनेता या खिलाड़ियों द्वारा विज्ञापन करवाया जाता है। यह खिलाड़ी और अभिनेता बड़े रोचक ढंग से अपनी प्रस्तुति देते हैं ,अपने अभिनय और हाव-भाव से ग्राहकों को सम्मोहित करते हैं। फिर अगर कोई वस्तु उपयोगी ना हो तो भी उपयोगी लगने लगती है। आवश्यकता ना हो तब भी वह वस्तु खरीदी जाती है।

विज्ञापन महत्वपूर्ण है उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के लिए। उत्पादक अपने उत्पाद की जानकारी प्रस्तुत करता है और उपभोक्ता उस जानकारी के आधार पर अपनी आवश्यकता पूर्ति करता है। आजकल प्रस्तुत किए जाने वाले विज्ञापनों में वास्तविक जानकारी नदारद रहती है। ऐसी परिस्थिति में उपभोक्ता को सतर्क रहने की आवश्यकता है। केवल लुभावने और आकर्षक विज्ञापन वस्तु खरीदने का आधार नहीं होना चाहिए। विज्ञापन में वस्तुओं के गुणों को बढ़ा चढ़ाकर दर्शाया जाता है तथा उसके मूल्य में भी वृद्धि कर दी जाती है। सावधान रहकर की हम विज्ञापनों के माया जाल से बच सकते हैं।

कनक गहलोत
कक्षा- X
द फैबइंडिया स्कूल

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