Monday, 13 September 2021

My Good School - Tamanna Solanki

If I could...
Erase all the pain,
Etched on each and every face.
Reach out to all those,
Who are famished to death.
Console all the hearts,
Who are mourning their lost ones?
Kill the helplessness, 
Of not meeting each other.
Return all the smiles,
Missing in every face.
And finally, 
Open all the closed doors,
Of my beloved learning centre ‐ my school.
My school that is my energy drink,
My school that is my power nap,
My school is 'My Good School'.

Tamanna Solanki 
Class ‐ VII B
The Fabindia School

Wednesday, 18 August 2021

Hardwork - Mohita Solanki

Hard work is vital in a human's life. 
The person who is working hard can achieve success and happiness in his life. When a person works hard and gets success in life, the happiness he gets cannot be compared to anything. 

Hard work determines our value in life. Diligence is the weapon of human life on the strength in which he can overcome even the most severe crisis. There is a well-known proverb that says if there is no pain, then there is no gain. 

Hard work never goes wasted. Man can solve all problems in his life by working hard. No work in the world can be successful or accomplished without hard work. Nothing is easy to achieve in life without doing any work. Therefore, it has been said that hard work is the key to success.

Mohita Solanki
Class VIII 
The Fabindia School

मनुष्यता - कृतिका राजपुरोहित

‘मनुष्यता’ एक बहुत छोटा सा शब्द लगता है परंतु इसका अर्थ महत्वपूर्ण है। यह लोगों की एक दूसरे के प्रति भावना का आभास है। मनुष्यता के कई रूपों में दिखाई दे सकती है- जैसे सद्भावना, एक दूसरे की फिक्र करना, सहायता करना आदि। यह सब बोलना और देखना आसान है परंतु इन बातों पर अमल करना उतना ही कठिन है, कोई भी इंसान किसी की बुराई देखने में देर नहीं करता परंतु गुणों को देखने में देर करता है। आज की दुनिया में मानवता दर्शाने वाले कम और नफरत, निर्दयता दर्शाने वाले अधिक मिलेंगे। लोग एक दूसरे की कदर नहीं करते तो उनकी भावना के बारे में सोचना दूर की बात है मनुष्यता एक ऐसा गुण है जिसके होने पर सब अच्छा है परंतु न होने पर सब बुरा। मनुष्यता से ही मानव बनता है, इस समय लोग इसके आवश्यकता को नहीं समझ रहे हैं परंतु इसे समझना अनिवार्य है। यदि मनुष्यता नहीं तो मानव नहीं।  

लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं कि वह अपने अलावा दूसरों के बारे में बुरा ही सोचते हैं। ऐसा लिखने के पीछे भी तथ्य है, कोरोना महामारी के दौरान लोग दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं, जमाखोरी कर रहे हैं, इतना ही नहीं अन्य वस्तुओं की भी जमाखोरी करके उसको ऊँचे दाम पर बेच रहे हैं। 

मनुष्यता केवल बोलने से नहीं होती, यह एक भावना है जो किसी की परेशानी देखकर आती है और उसकी सहायता के लिए जब हम सबसे पहले खड़े रहे, तब समझ सकते है कि हममें मानवता है। आज जानवरों में मनुष्य से कहीं ज्यादा अपनापन है क्योंकि जानवर अपने स्वार्थ में किसी का बुरा नहीं सोचते और यदि हमें अपनी आने वाली समय को उज्जवल करना है तो आज ही हमें मनुष्यता का सही अर्थ समझना होगा। इस कठिन दौर में यह आवश्यक है कि हम हर इंसान के लिए मदद करने को तत्पर रहें। यह महामारी शायद हमें यही सीख देने के लिए है। 

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समाज में रहता है। जब समाज में रहता है तो एक दूसरे की मदद करना भी आवश्यक है, तभी तो उसकी सामाजिकता दिखेगी। जब हम संकट में होते हैं तब मदद की गुहार लगाते हैं, ललचाए हुई निगाहों से चारों तरफ मदद की आस करते हैं। लेकिन कभी सोचा है जब कोई और संकट में था तब हमने मदद की या नहीं। स्वयं के लिए चिल्लाने लग जाएँगे परंतु अपनी तरफ से देने का प्रयास नहीं करेंगे।

समय की गरिमा को समझते हुए हमें एक दूसरे की मदद करने की आवश्यकता है। स्वार्थ सिद्धि छोड़कर एकजुट हो जाएँ तो यह महामारी दुम दबाकर भागेगी और मनुष्यता विजई होगी।

कृतिका राजपुरोहित 
 कक्षा- ग्यारहवीं (विज्ञान)